डोनाल्ड ट्रम्प की जीत अब सुनिश्चित है
डोनाल्ड ट्रम्प
ने महाभियोग की चुनौती को सफलतापूर्वक पार कर लिया है जिसके बाद ज़्यादा कुछ कहने को बच नहीं जाता है. अमेरिकी सीनेट में दो हफ्ते पहले तक चले विवादित ट्रायल के बाद तो लग ही रहा था या तो आर या फिर पार. यह जीत निश्चित तौर पर रिपब्लिकन पार्टी के लिए राहत की बात है क्योंकि अब उसे आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए नया आधिकारिक उम्मीदवार भी घोषित नहीं करना पड़ेगा.
लोअर हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्ज़ में तो रिपब्लिकन पार्टी के पास बहुमत तक नहीं था तो उसके लिए सीनेट में बहुमत के साथ इस महाभियोग प्रस्ताव करने के आलावा कोई और विकल्प भी नहीं था. हुआ भी यही और 52-48 के अंतर से इसे ख़ारिज करने में डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी की सफल साबित हुई. यह बात अलग है कि डेमोक्रेटिक पार्टी की अगुवाई में चल रही जाँच अभी भी चलती रहेगी. महाभियोग की पूर्व संध्या पर ट्रम्प को 50 प्रतिशत के करीब का समर्थन हासिल था.
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इसके बाद अपने स्टेट यूनियन एड्रेस संबोधन में उन्होंने देश को अपनी लीडरशिप आगे ले जाते हुए बात करी वह भी उस दर से जिसकी कल्पना किसी ने कभी करी भी नहीं होगी. खैर, डेमोक्रेटिक पार्टी को अब जाँच एक तरफ कर के अपने आधिकारिक उम्मीदवार को चुनने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि आगामी प्रेजिडेंट चुनाव में उसकी नैया पार लग सके.
अगर कोई भी ट्रम्प का विकल्प हाल फिलहाल में लगता है तो वह है बर्नी सैंडर्स जो उनके कट्टर प्रतिद्वंदी है और एक घाटी के डेमोक्रेटिक नेता भी. हालाँकि पिछले चुनाव में भी हिलेरी क्लिंटन की जगह उन्हें तरजीह नहीं दी गई थी और उनकी जन स्वीकारता उनके लम्बे राजनितिक अनुभव से मेल नहीं खाती है अतः डेमोक्रेटिक पार्टी पहले से भी कमज़ोर हो चुकी है.
कोई परफेक्ट नहीं होता लेकिन जिसके हाथ में सत्ता होती और यदि वह उसका केंद्र हो तो कोई भी उसे अपने खिलाफ चल रहे माहौल को बदलने से नहीं रोक सकता है. जिस तरह ट्रम्प के खिलाफ कुछ एंटी इंकम्बेंसी का माहौल बनता और विपक्ष इससे मोमेंटम पा सकता था लेकिन नफरत की राजनीति बदलाव की राजनीति पर भारी हो गई और आगामी चुनाव से ठीक पहले डोनाल्ड ट्रम्प को बैकफुट से सीधे फ्रंट फुट पर आने का मौका मिल गया है जिससे अब उनकी जीत सुनिश्चित लग रही है बाकी जो समय का साक्षी वही उत्तर सही.