प्रियंका गाँधी का सूडो हिन्दू प्रेम
उत्तर प्रदेश में
भगवा रंग को लेकर अब स्तरहीन राजनीति देखने को मिल रही है. इसकी शुरुआत करने वाली और कोई नहीं मन से ईसाई और बाहर से नकली हिन्दू बनने का ढोंग करने वाली सुश्री प्रियंका गाँधी वाड्रा है. कभी यह गंगा पुत्री बन जाती है तो कभी यह केरल के वायनाड में भाई राहुल गाँधी के लिए प्रचार करते हुए बिना कलईका के दिख जाती है. जैसा देश वैसा भेष की सोच पर चलने वाली प्रियंका गाँधी आडम्बरवादी बीमारी से इस हद तक ग्रस्त हो चुकी है जिसका कोई उदाहरण नहीं है.
एक किसान के आत्मदाह करने का फेक वीडियो ट्विटर पर पोस्ट कर डिलीट करना हो या फिर यूपी पुलिस द्वारा गाला दबाये जाने की फेक न्यूज़ स्टोरी चलवाना हो, प्रियंका गाँधी शायद खुद का दिमाग एक प्रतिशत भी इस्तेमाल नहीं करती होंगी क्योंकि बिना किसी जांच पड़ताल के ऐसी बातों को बोलना और ऐसी सामग्री को ऑनलाइन पोस्ट भला कौन कौन सा नेता कर सकता है ? बेशक सिर्फ एक नाम - प्रियंका गाँधी वाड्रा !
अपनी मूर्खता या फिर कहे बेहूदगी की पॉलिटिक्स में नए धारावाहिक में श्रीमती वाड्रा कम गाँधी ने हिन्दू धर्म पर सीधे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथो लेने की कोशिश करी और जब वह मुद्दाविहीन हो गई तो उन्होंने निजी कटाक्ष कर नीचता की अनोखी पेशकश की है.
इस बार उन्होंने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के भव्य भगवा वस्त्रों पर टिपण्णी कर डाली और बिना किसी आधार या तर्क के उनके भगवा पहनने पर सवाल करते हुए उन्हें भगवा का महत्व समझने का उपदेश भी दे डाला जिसके लिए सीधे सीएम ऑफिस से उन्हें चेतावनी जारी हो चुकी है.
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अब प्रियंका गाँधी हमारे हिन्दू समाज को सिखाएंगी कि भगवा रंग रंजिश या हिंसा का प्रतीक नहीं है ? तो उनके ईसाई धर्म के रंग को ही हम शांति का रंग क्यों मान लें ? प्रियंका गाँधी खुद मानसिक अवसाद से ग्रस्त है इसलिए उनकी आलोचना से ज़्यादा उनकी फ़िक्र होती है. बेहतर होगा वह अपने चर्च में वापिस जाकर अपने इशू से क्षमा याचना करें न कि गैर-हिन्दू होकर हिन्दू धर्म के प्रतिनिधि महंत योगी आदित्यनाथ को हिन्दू धर्म पालन पर उपदेश दें जबकि उनकी दादी स्वर्गीय इंदिरा गाँधी ने निहत्ते साधुओं पर गौरक्षा पर कानून की मांग करने पर गोलियां चलवाने की मांग कर डाली थी.
हिन्दू धर्म के खिलाफ खुद पारसी होकर हिन्दू होने का ढोंग करने वाली दादी हो या फिर जेनऊधारी हिन्दू हो जाने वाले राहुल गाँधी हम सबको बतौर पता है कि सच क्या है इसलिए प्रियंका गाँधी अपना सुडो हिन्दू प्रेम अपने ही तक सिमित रखें वरना शुरू होने से पहले ही राजनीतिक करियर अस्त हो जायेगा.