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12-Nov-2020, Updated on 11/12/2020 6:50:47 AM
Controversy in JNU for the statue of Swami Vivekananda
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मित्रों आज जब मैंने यह सुना कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने हमारे देश की सबसे बड़े शिक्षा संस्थानों में से एक JNU(Jawaharlal Nehru University) विश्वविद्यालय में, हमारे आदर्श श्री स्वामी विवेकानंद जी की एक मूर्ति लगाने की सहमति जताई है। जो की एक बहुत ही सुन्दर विचार है। क्योंकि विवेकानंद जी तो हम सभी भारतवासियों के आदर्श हैं।“स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे प्रिय बुद्धिजीवियों और आध्यात्मिक नेताओं में से एक हैं। उन्होंने भारत में स्वतंत्रता, विकास, सद्भाव और शांति के अपने संदेश से युवाओं को उत्साहित किया।आदरणीय स्वामी जी ने जिस प्रकार से अपने देश का नाम विदेशों में सम्मानित किया है ये सब जानते हैं। उनके द्वारा शिकागो में एक सम्मलेन के दौरान दिए गए भाषण ने तो हमारे देश को ऐतिहासिक ख्याति दिलाई थी। स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को जेएनयू के पूर्व छात्रों के समर्थन से विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित किया जाना निश्चित हुआ है।
मामला कुछ इस प्रकार है -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार(November 12, 2020) को यहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के परिसर में स्वामी विवेकानंद की एक बृहद्काय प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं। प्रतिमा का अनावरण पीएम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। जेएनयू के प्रशासन ब्लॉक में मूर्ति अनावरण समारोह, विश्वविद्यालय के एक बयान के अनुसार, शाम 6:30 बजे निर्धारित किया गया है। हालाँकि, अब वहाँ एक विवाद ने इस अनावरण से पहले ही जन्म है। JNU छात्र संघ (JNUSU) ने आज शाम 5 बजे वर्सिटी के नॉर्थ गेट पर विरोध सभा का आयोजन किया है। वैसे वहाँ ऐसा होना कोई आस्चर्यजनक बात नहीं है क्योंकि वहां देश विरोधी गतिविधियां होना और उसमे ज्यादा से ज्यादा बुद्धिजीवियों का शामिल होना यह दर्शाता है की वहां का माहौल कैसा है। और इस पर क्या प्रतिक्रिया रहेगी। जेएनयूएसयू द्वारा जारी एक पोस्टर जिसमे पीएम मोदी को 'वापस जाने' के लिए कहता है और एमओई (शिक्षा मंत्रालय) से 'जवाब' मांगता है। वहाँ इस दौरान एक और उल्लेखनीय बात यह है कि जेएनयू के तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी और लिबरल छात्रों का यह समूह (मुख्य रूप से टुकड़े-टुकड़े गैंग) मूर्ति निर्माण को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन का लगातार विरोध कर रहा था। स्वघोषित सेक्युलर छात्रों के इस समूह के मुताबिक़ यह रुपयों की बर्बादी है।
हमें यह नहीं समझ आ रहा है की आखिर - JNU के छात्रों अथवा वहां की लिबरल गैंग का विरोध विवेकानंद जी को लेकर है या मोदी जी को लेकर ?
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