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29-Oct-2020
Another sacrifice in the name of love jihad
Playing text to speech
लव जिहाद के नाम पर एक और बलि
अभी हाल ही में एक और लव जिहाद की एक और दुःखद घटना घटित हुई और आज हमने अपनी एक और बच्ची को एक जाहिल राक्षस के हांथो खो दिया। यह घटना हरियाणा के वल्लभगढ़ की है !
बात ऐसी है की एक अधर्मी(धर्म विशेष) का जाहिल लड़का है। उसे एक हिन्दू लड़की पसन्द आ जाती है। उसने बार-बार कहा कि अपना धर्म बदल लो और मुझसे निकाह कर लो । दो साल पहले उसने उस लड़की को किडनैप किया था , पर व समय मवजूदा पुलिस/प्रशासन ने बचा लिया था। पर वह चुप नहीं बै ा, पीछे लगा रहा। कल लड़के ने फिर लड़की को किडनैप करने का प्रयास किया। लड़की ने विरोध किया तो वह लड़का सफल तो नहीं हो सका, तो उसने उस लड़की को बीच सड़क पे दिन दहाड़े गोली मार दी... और खेल खत्म!
बात केवल उस लड़की की नहीं है, बात उस मानसिकता की है जिसके कारण हर तौफीक हिन्दू लड़कियों को अपना शिकार समझता है। देश में हर साल हजारों लड़कियां शिकार बनाई जाती हैं। कुछ वीडियो बना कर फँसाई जाती हैं, कुछ लालच दे कर, कुछ डरा कर... उनमें कुछ मार दी जाती हैं, कुछ दुबई में बेंच दी जाती हैं और कुछ किसी तरह जीवन को काटने लगती हैं।
और इस बार एक हिन्दू लड़की मारी गयी है। इसलिए फर्जी नारीवादी और सेकुलर कीड़े चुप हैं, नहीं तो लव-जिहाद को लव बता कर इस शिकार का समर्थन करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। सम्भव है चार दिन में इन दोनों लड़कों के पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाय... यही हमारा देश है, यही हमारे देश का सेक्युलरिज्म है। अगर लड़कियां सच्चा प्यार मान कर सब कुछ के लिए हाँ भी कर देती हैं तब भी वे अगले कुछ दिनों बाद किसी सूटकेस में पैक्ड ही मिलेंगी। यही सच्चाई है।
एक साल पहले जब कहीं पर इसकी चर्चा होती थी तब बहुतों का कहना होता था कि "क्या उल्टा सीधा बक रहे हो, लव जिहाद जैसा कुछ नहीं है।" स्थापित लेखकों ने तो इस सामरिक विषयवस्तु के विषय के कारण उसे तिनके से भी छूना पसन्द नहीं किया। इस विषय पर सब चुप्पी साधे रहे हैं। इधर बस साल भर में वे इतने आगे बढ़ गए कि बीच सड़क पर गोली मारने लगे...
हम प्रशासन को दोष देते हैं, पर प्रशासन क्या करे? कानून तो लव जिहाद को मानता ही नहीं। प्रेम के नाम पर फंसाने को अपराध नहीं माना जाता है न! फिर क्या करेगा पुलिस प्रशासन?
जबतक कानून प्रेम और छल में अंतर स्पष्ट नहीं करता ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी। प्रेम के नाम पर कम उम्र की लड़कियों को फंसाने को जबतक अपराध नहीं माना जायेगा, निकिताओं की हत्या नहीं रुकेगी। अब समय आ गया है कि सरकार इसपर क ोर कानून बनाये... सेक्युलरिज्म के नाम पर लड़कियों का शिकार रुकना चाहिए।
एक हिन्दू लड़की जब पढ़ने के लिए घर से निकलती है तभी जाने कितनी आंखे उसके पीछे लग जाती हैं। उसके सामने इतने जाल बिछाए जाते हैं कि उसका कहीं न कहीं फँस जाना सामान्य ही है। उसके बाद हम उस लड़की को भला-बुरा कहते रहें, पर सच यह है कि उनका दोष नहीं होता। उन्हें बचाने के लिए क ोर कानून बनाना होगा।
और हाँ! फिर कहूँगा, अपनी बेटियों को परत पढ़ने के लिए दीजिये... उन्हें बताइये कि एक बहुत बड़ी जनसंख्या है जो उन्हें लड़की नहीं, शिकार समझती है।उन राक्षसों से बच कर रहना ही होगा, नहीं तो जीवन नरक हो जाएगा। यह लेख उन्हें सतर्क करने के लिए बहुत ही आवश्यक है।
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