निर्भया को इन्साफ मिल गया हो लेकिन उसे अंतिम न्याय मिलना अभी भी बाकी है क्योंकि वास्तव में अभी भी उसके 2 हत्यारे सड़को पर घूम सकते है। एक तो वह तथाकथित किशोर जो आज नाम बदलकर एक कुक का काम कर रहा है और दूसरा वह धोखेबाज़ आशिक़ अविंद्र प्रताप पांडे जो वास्तव में उससे कभी प्यार करता ही नहीं था और बस प्यार के छलावे में रखते हुए निर्भया यानी ज्योति सिंह को बस में ले गया और वहां उसके साथ इन दरिंदो ने हैवानियत की सारे हदें पार कर दी और इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा लीजिये कि उसके गुप्त अंगो में लोहे की पूरी की पूरी रॉड घुसेड़ दी गई।
वह तड़प-तड़प कर मर गई लेकिन उसने ज़िन्दगी के लिए जंग लड़ी और अपनी अंतिम इच्छा के साथ इस दुनिया को अलविदा कह दिया। यह अंतिम इच्छा थी इन बलात्कारियों को सज़ा-ए-मौत जिसके तहत 8 साल के कठिन और कठोर न्यायिक संघर्ष के बाद इन्हें फाँसी के तख़्त पर लटका दिया गया। अब कोई और "निर्भया" इस देश में देखने को नहीं मिलेगी इसका क्या गारंटी ?
आज भी वह अपराधी लड़का और वह धोखेबाज़ प्रेमी आज़ाद है। एक नाम बदलकर कहीं दूर जाकर अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहा है तो वहीं दूसरा नोएडा में मोटी सैलरी की जॉब कर अपनी बीवी के साथ मस्त ज़िन्दगी जी रहा है। क्या पड़ी है उसे निर्भया की? वह तो मर गई यह सोच के आधी रात को अपनी हवस बुझाने गया वह शख्स आज भी उसकी याद में जी रहा होगा। अब मीडिया का बोलना बंद हो चुका है और मीडिया ट्रायल की कोई गुंजाईश नहीं है।
अपराधियों का वकील एपी सिंह तो खुद किसी मानसिक रूप से बीमार आदमी यह कहे तो स्वयं अपराधी होकर फाँसी के चंद घंटो पहले तक हर कानूनी दांव पेंच चलाते रहे कि यह अपराधी बच जाए जैसे यह इसके खुद के बच्चे हो !
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China Is Hiding It's Sin Part On Coronavirus Pandemic
आज भी देश में निर्भया है और शायद यह तब तक रहेगी जब तक रेप नाम की इस आपराधिक बीमारी को समाप्त नहीं किया जाता है। आज भी हम रेप के नाम गुस्सा दिखाते है लेकिन हमारा एक्शन देखने को नहीं मिलता है।
यह सियासत के हुक्मरानो को कभी भी इस बात का एहसास नहीं होगा कि जब तक उनकी घर की किसी स्त्री के साथ ऐसा नहीं घटता है। जिस दिन समाज सड़क पर आ गया तो आदर्शवादी ढखोसला बंद हो जायेगा और लोग फिर किसी और निर्भया के न्याय के लिए लड़ने को मजबूर नहीं होंगे।