तुर्की प्रेसिडेंट इरदुगान की जुबां फिसली
तुर्की राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान
की जुबान फिसल सी गई है. उन्हें अब जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक खिलाफत के विफल होने पर हाय-तौबा मचाने की ज़ुर्रत करने की पड़ी है. पहले तो उनका बयान जान लीजिये जो पूरी तरह से भारत विरोधी है - "हमारे कश्मीरी भाइयों और बहनों को दशकों से असुविधाओं का सामना करना पड़ा है और हाल के दिनों में उठाए गए एकतरफा कदमों के कारण ये कष्ट गंभीर हो गए हैं"
इरदुगान को आतंकी देश पाकिस्तान के सबसे बड़े हमदर्द की तरह देखा जाता है. यही कारण है कि उन्हें कश्मीर के अपने मुस्लिम भाइयों-बहनो की याद आई है जो केवल मुस्लिम होने के नाते ही आई है जबकि वास्तव में तो महाशय कभी कश्मीर गए भी नहीं. भारत सरकार ने ज़रुरत के मुताबिक इस पर कड़ी आपत्ति जताने में देरी ने करी और तुर्की को अपने देश की आंतरिक गतिविधियों में हस्तक्षेप न करने की हिदयात दे डाली. इरदुगान तो वैसे भी आदत से मजबूर है तभी तो अपने सऊदी आकाओं के कहने पर इस्लामवाद के ऊपर पुरज़ोर हमला करने वाले सच्चे आदमी जमाल खाशोगगी को अपने ही देश के आधिकारिक दफ्तर में मरवा डाला.
वह आगे कहता है कि पाकिस्तान का लिंक सीधे कश्मीर से है. अब कश्मीर से ही लिंक किस तरह इसके पीछे आपको वजह जान लेनी चाहिए कि यह सभी इस्लामिक राष्ट्र यूनाइटेड जेहाद कौंसिल के सदस्य है और इनका एक सूत्री एजेंडा बुद्धपरस्ती को समाप्त कर केवल इस्लामिक खिलाफत को स्थापित करना है जिसके लिए तुर्की ने अपनी आखिरी खिलाफत को न्योछावर कर दिया था वह भी ब्रिटिश राज्य के आगे.
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अब फिर से वही लाल टोपी वाले मियां दुनिया को जीतने निकले है और सभी मुस्लिमो को बलगरा कर, भड़का के उम्मद की उम्मीद के लिए जेहाद करने को कह रहे है ताकि एक और पाकिस्तान बन सके.
"आज, कश्मीर का मुद्दा हमारे (पाकिस्तानियों) के समान है। न्याय और निष्पक्षता के आधार पर इस तरह का समाधान संबंधित सभी पक्षों के हितों की सेवा करेगा। तुर्की न्याय, शांति और शांति के साथ खड़ा रहेगा। कश्मीर मुद्दे के समाधान में बातचीत होनी चाहिए"
कौन सी न्याय और शांति की बात यह देश करता है ? सीरिया जैसे देशों पर हमला कर अपने ही समुदाय के लोगों का खून बहाना इस टेररिस्ट स्टेट तुर्किस्तान को मंज़ूर है और वह शांति का ढोंग करता फिर रहा है. इरदुगान साहब यह मंसूबा भारत के आगे नहीं चलेगा इसलिए कोशिश भी न करेगा और अपनी फिसली जुबां पर लगाम लगाइए.