जामिया गोली काण्ड : गोपाल आज का गोडसे है !
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी
के छात्र आज मार्च करने की सोच रहे थे तभी एक शख्स एक कट्टा लेकर वहां आ धमका और उसने मास कॉम के शादाब को गोली मार दी. शादाब तो बच गया लेकिन जब उसे गोली मारते हुए वह शख्स जिसका नाम राम भगत गोपाल बताया जा रहा है, उसने एक तरफ मीडिया, छात्र और दूसरी तरफ चुपचाप खड़ी दिल्ली पुलिस के वर्दीधारियों के मौन मुख को देखते हुए मानो जैसे इशारा पा लिया हो.
तभी उसने गोली चला दी यह कहते हुए कि "यह लो आज़ादी" अब यह जामिया वाली आज़ादी का प्रतिकार था या नहीं लेकिन इतना तो साफ़ है कि तथाकथित बापू महात्मा गाँधी के मरण दिन पर ऐस कृत हिन्दू समाज के साबर का बाँध टूटने का सूचक है जिसे इन जेहादियों अथवा शांतिप्रिय मुस्लिम समाज वालों को समाज लेना चाहिए.
दिल्ली आउट ऑफ़ कन्ट्रोल नहीं हुई है केवल जिन्हें हल्लाह वाले अल्लाह में विश्वास है वही शाहीन बाग़ और जामिया नगर में डेरा जमाकर दूसरों के आने-जाने पर अवरोध बन कर बैठे है. इसके लिए ज़िम्मेदार केवल यह शांतिप्रिय लोग इनको ऐसा करवाने वाली भड़काऊ विपक्षी पार्टियां और अन्य मुद्दों से ध्यान बैठक के ध्रुवीकरण करने वाला सत्ता पक्ष है.
गोपाल आज का गोडसे है जिसे कल के जिन्नाह शरजील इमाम ने मजबूर किया कि वह धर्म स्थापना हेतु हथियार उठाये. मुस्लिमो को समझना होगा कि अब हिन्दू दबेगा नहीं और यदि उन्हें साथ नहीं रहना तो वह दबने के लिए तैयार रहे.
सत्ता पक्ष फिर भी सही प्रतीत होता है क्योंकि यहाँ देश की अखंडता और शांति व्यवस्था को बनाए रखा बतौर सरकार उसके लिए ज़रूरी है किन्तु जिस तरह से दिल्ली विधानसभा चुनाव में लोकल मुद्दों से परे एक प्रायोजित और साज़िशनुमा आंदोलन के ऊपर राजनीति की जा रही वह न्यू इंडिया की नींव को ढहाते हुए हमारी लोकतान्त्रिक परंपरा के पिछड़ेपन को दिखाता है.
दिल्ली पुलिस आज देश की सबसे वेरिएबल पुलिस विभाग बन कर सामने आया है क्योंकि वह कब सख्त और कब नरम पड़ जाता है इसका आभास तो किसी को हो भी नहीं सकता. एक आदमी फेसबुक लाइव कर कुछ ही देर उसके सामने गोली चला देता है और चुपचाप देखती रह जाती है.
गृह मंत्री पर सोशल मीडिया पर ठोस करवाई का वही पुराण सन्देश कॉपी पेस्ट करवाकर निकल जाते है और ट्विटर पर हैशटैग को लेकर लेफ्ट-राइट विंग वाले एक दूसरे से लड़ना शुरू कर देते है और आप यदि सीरियस है यह सब जानकार कि हो क्या रहा है तो बस सबकी बात सुनिए, जानिये, पढ़िए और समझते हुए सो जाइये क्योंकि यह देश की नौटंकी रोज़ की है.