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22-Jan-2020, Updated on 1/22/2020 12:54:08 AM
Saif Ali Khan Apne Dada Ko Bhool Gaya
Playing text to speech
सैफ अली खान अपने दादा के बारे में भूल गया
सैफ अली खान जिसने फिल्म तन्हाजी में विलेन की भूमिका निभाई थी वह अपने ही किये फ़िल्मी रोल को अब भूल चुका है. वामपंथी फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा के साथ एक इंटरव्यू में नाम के पटौदी नवाब सैफ अली खान ने फिल्म में दिखाए गए हिन्दुओं के गौरवशाली इतिहास के बारे में कहा कि फिल्म में दिखाया इतिहास सच नहीं है क्योंकि ब्रिटिश के आने से पहले "इंडिया" का कांसेप्ट था ही नहीं. इस इंटरव्यू में उससे फिल्म के पॉलिटिकल एंगल के बारे में पूछा गया था.
ज़ाहिर तौर पर इंटरव्यू स्क्रिप्टेड था और किसी इंटरनेट यूजर भारतीय को सैफ अली खान की नौटंकी देखने में आ रही होगी. या तो वह बेहद समझदार शख्स है या फिर उसे वास्तव में नहीं पता नहीं था कि फिल्म किस बारे में यानी वह या तो नादान है या फिर बेहद समझदार है.
आखिर सैफ के दादा जी इफतिकार अली खान पटौदी के बारे में बात क्यों न की जाए ? आखिर पाकिस्तान के क्रूर निर्माता मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में बात हो जाए क्योंकि उसको पत्र लिखने वाले सैफ के परदादा हमीदुल्लाह खान ही थे. यह बात तो साफ़ है कि सैफ अली खान कोई "हिस्ट्री बफ" नहीं है और केवल अपनी ट्रेंडिंग रहने के लत के चलते उसने ऐसा कहा है. सैफ के ख़त्म हो चुके करियर को फिल्म तन्हाजी ने जीवित कर दिया और उसने एहसान चुकाने के बजाय विवाद ही खड़ा कर दिया.
हम इस बात को बिलकुल नहीं भूल सकते कि हमीदुल्लाह अली खान जो ब्रिटिश काल में भोपाल रियासत का नवाब उसने पाकिस्तान के फाउंडर मोहम्मद अली जिन्ना को यह पैगाम पत्र के माध्यम से भेजा था कि वह पाकिस्तान जाना चाहता है. ीक उसी तरह जैसा कि हैदराबाद के निज़ाम की चाहत थी. अब इस बात को कौन नहीं समझ पायेगा कि सैफ अली खान का खानदान अफ़ग़ानिस्तान से 15 वी शताब्दी में आया था और इनके शौक तो ऐसे कि इन्होंने दस साल बड़ी अमृता सिंह से शादी करी और फिर उसे छोड़ के 10 साल छोटी करीना कपूर को अपने प्यार में फंसाया.
दिनांक है 2 अगस्त 1947 सैफ अली खान के परदादा, भोपाल के नवाब ने जिन्ना को एक पत्र लिखा था. वह स्पष्ट रूप से बताता है कि वह पाकिस्तान का कट्टर समर्थक है और वह भोपाल को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था क्योंकि 80 प्रतिशत हिन्दुओं से खतरा है और वह इस्लाम फॉलो नहीं कर सकता है.
आजादी के बाद से धर्मनिरपेक्षता इस नवाबी परिवार के लिए एक मुखौटा था। बड़ी उम्मीद के साथ बढ़ी हुई जनसांख्यिकी के कारण लगता है कि उन्होंने इस्लामिक खिलाफत को फिर से बनाने के लिए अपने बेटे का नाम तैमूर रख दिया है जो इतिहास का सबसे बड़ा कातिल था. सैफ अली खान तुम अपने बाप-दादा को भूल जाओ लेकिन हम याद कर लेंगे और सबको कराएँगे भी.
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