क्वेटा मस्जिद ब्लास्ट : आईएसआईएस इस्लाम पर ही हमला करता है
यह कैसा इस्लाम है? पाकिस्तान कहता है कि भारत उसके यहाँ आतंक फैलाता है और वह खुद आतंक से पीड़ित है लेकिन 2 दिन पहले आई बलोचिस्तान के क्वेटा की तस्वीरों को हर जुम्मे यानी शैतान की शक्ति दिन होने वाले अल्लाह के घरो में दहशतगर्दी ब्लास्ट्स की पुष्टि कर दी. क्वेटा मस्जिद ब्लास्ट से इतना साफ़ हो चुका आतंक का कोई अन्य मज़हब नहीं होता है केवल मज़हब है जिसका नाम है मज़हीब-ए-शांतिप्रिय है.
72 फिरकों में विभाजित यह मज़हब एक दूसरे की मस्जिदों में दूसरों को ज़ेबा कर मार डालने की ही बात कहता है. वैसे भी आतंकी स्टेट पाकिस्तान के लिए किसी भी तरह खुद को आतंक से पीड़ित बता पाना नामुमकिन है क्योंकि पिछले ही दिनों ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर हमला होने के बाद से ही उसकी पोलपट्टी खुल चुकी है.
शायद इसलिए पूरी दुनिया को खुद की विक्टिम इमेज दिखाने के लिए वह बलोचिस्तान के क्वेटा में ब्लास्ट करवाता है जिससे लोगों को लगे कि उसके यहाँ भी आतंकी हमले होते है तो वह दूसरों पर हमला आखिर कैसे कर सकता है ? एक पल के लिए पाकिस्तान का यह कुतर्क मान भी लिया जाए तो भी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ सीरिया ने ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली है वह किस इस्लामिक खिलाफत की बात करता है ? आखिर उसका काला झंडा किस मज़हब की आतंकी सोच को परिभाषित करता है तथा दर्शाता है ? एक केवल - इस्लाम, जिसे आप इस्लामवाद की नापाक आतंकी सोच भी कह सकते है.

इस ब्लास्ट में आइसिस के ही आतंकियों ने ही अपने प्रतिद्वंदी तालिबान के 30 आतंकी और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के 3 आतंकी आकाओं कम अधिकारियों को मौत के ढेर उतार दिया. शुक्रवार शाम इशकाबाद के मदरसे में तालिबान का सर्वोच्च जज शेख अब्दुल हकीम और आईएसआई के टॉप अफसर मिलकर बैठक कर रहे और इसी का मौका देखकर आईएसआई ने उन सभी को मौत के घाट उतार दिया. क्योंकि अल्लाह की राह में जिहाद करना ही मुनासिब और जन्नत की बानगी वहीँ से होती है. तो क्या अब पाकिस्तान कहेगा कि आतंक का मज़हब नहीं होता?
आईएसआई ने अपने देश सीरिया में भी यही किया था और मौजूदा अमेरिका-ईरान युद्ध से भी साफ़ हो चुका है कि एक शिया मुस्लिम देश ईरान दूसरे सुन्नी मुस्लिम देश इराक पर हमला करता है तो उसे उम्मद से बड़ा अपना मज़हब दिखाई पड़ता है. आईएसआईएस तो इस्लाम पर हमला करता है और कोई भी मुस्लिम देश उसका न तो विरोध करता है न ही उसके खिलाफ कार्यवाही करता है. अब सभी गैर-मुस्लिमों को अपनी आँखें खोल लेनी चाहिए और इस्लामवाद के खतरे से सामना कर लड़ने की तैयारी कर लेनी चाहिए.