ऑस्ट्रेलिया 10 हज़ार ऊठो को मारने वाला है, कहाँ गए एनिमल राइट्स वाले ?
ऑस्ट्रेलिया में आये हुए बुशफायर की भीषण प्राकृतिक आपदा से सभी परिचित है. इसने ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्व हिस्से को बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है. वहां पर इंसान शायद मरे हो या न मरे हो लेकिन इतना साफ़ है कि कई जानवर मरे है और कई जानवर भी मरने बाकी है. अब एक अनैतिक, अमानवीय कृत को लेकर ऑस्ट्रेलिया आगे बढ़ता जा रहा है जिसमें इन मासूम जानवरों की जान पर खतरा मंडराने लगा है. 10 लाख के करीब ऊट जो इस साल के सबसे बड़े सूखे के चलते अब पास के टाउन वाले इलाको में जाकर अपनी प्यास बुझाना चाहते है उनकी किलिंग यानी खुले में कत्लेआम के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी है.
अब कहाँ गए एनिमल राइट्स वाले ? पेटा (PETA) जो जानवरों को बचाने की एकमात्र स्वघोषित संस्था उसने अपने ट्विटर हैंडल, इंस्टाग्राम प्रोफाइल, फेसबुक पेज पर इस कदम को लेकर एक शब्द तक नहीं पोस्ट किया क्योंकि यह तो वह देश जहाँ से उसे फंडिंग मिलती है. बोलने और लड़ने के लिए हिम्मत चाहिए जो कि peta जैसे संगठनों के बस की बात नहीं है.
जानवर जिन्दा रहें या मर जाए पर पेटा को फर्क नहीं पड़ता है. बस एक शार्ट वीडियो क्लिप दिखाकर अपना काम करने वाली संस्था है पीपल फॉर थे एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स. ऑस्ट्रेलिया में इस वक़्त 10 लाख से 13 लाख कैमल यानी ऊट है जो करीब 1-1.3 मिलियन की संख्या रखते है जिसकी वजह से वह कुल मिलकर 3 .3 मिलियन स्क्वायर मीटर्स के क्षेत्रफल को ग्रहण करते है.
ऑस्ट्रेलिया ने तो इसको लेकर प्रोजेक्ट भी साल 2003 में ही पेश कर दिया था. इस प्रोजेक्ट का नाम ऑस्ट्रेलियन फेरल कैमल प्रोजेक्ट है जिसके तहत उनकी ज़रुरत से ज़्यादा बढ़ती आबादी को नियंत्रित किया जा सकेगा. अब यह तो सरकार की दोहरी नीति है जिसके आगे उसी से पैसा लेने वाले एनिमल राइट्स ग्रुप केवल बयानबाज़ी, प्रोटेस्ट और अधिक से अधिक कोर्ट केस कर पाते है जो भी केवल सांकेतिक रह जाती और कुछ भी ठोस उसमें से निकलता ही नहीं है.
क्या ऑस्ट्रेलिया को ऐसा करने की इजाज़त दी जा सकती है ? बिलकुल नहीं ! लेकिन वह ऐसा कर रहा है और दुनिया के सभी एनिमल राइट्स ग्रुप केवल बोल सकते है कुछ कर नहीं सकते क्योंकि उनका अस्तित्व इन देश की फंडिंग से है और अपने ही बॉस के खिलाफ के खिलाफ कौन एम्प्लॉई बोल पाता है ?