Iran-America Tension Mein India Ka Stand Kya Hona Chhahiye ?
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07-Jan-2020, Updated on 1/7/2020 4:19:41 AM

Iran-America Tension Mein India Ka Stand Kya Hona Chhahiye ?

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अमेरिका-ईरान लड़ाई पर भारत को कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है

अमेरिका-ईरान के बीच आज से ही नहीं बल्कि पिछले दो दशकों से तनाव और संघर्ष चल रहा है जिससे विश्व युद्ध तृतीया की तस्वीर बनती नज़र आ रही है तो ऐसे में पूरा विश्व दो धड़ो में अलग होता हुआ दिखाई दे रहा है. जहाँ ईरान के साथ उसी के गुट के मलेशिया, तुर्की और पाकिस्तान है, हालाँकि पाकिस्तान तो बिन पेंदी के लोटा है जो मौकापरस्ती के अवसाद के चलते स्वार्थवश किसी भी ओर पलट, लुढ़क सकता है.

हाँ बतौर एक ज़िम्मेदार और एक विश्व शक्ति होने के चलते भारत ईरान, अमेरिका और यहाँ तक कि अन्य देशों से संपर्क में आकर बात करते हुए शान्ति स्थापना की मुहीम कर सकता है लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर उसे अमेरिका-ईरान के बीच चल रहे इस विनाशकारी तनातनी में नहीं पड़ना चाहिए.  

भारत का तेल खरीद का बिल वैसे ही सीमा पार कर चुका तो ऐसे में उसे फ़िक्र करने की क्या ज़रुरत है ? उसे तेल लेने के लिए केवल ईरान का ही तो सहारा है नहीं ? 2006 से आर्थिक प्रतिबन्ध झेल रहे ईरान को अपने रॉयल गार्ड्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की सूझी है. 

उसके जनाज़े में राष्ट्रपति हसन रूहानी और सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खुमैनी रोते हुए दिखे लेकिन उनके मन के अंदर बदले की भावना आ चुकी है. भले ही वह अमेरिका के सामने नहीं टिक सकते किन्तु वह उससे प्रत्यक्ष तौर पर लड़कर उसका भारी नुक्सान ज़रूर पहुंचा सकते है. अमेरिका की संसद भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मिलिट्री एक्शन के खिलाफ प्रस्ताव लाने जा रहा है. इसके अलावा इराक भी अमेरिकी सेना को अपने देश से हटवाने की कोशिश में है वह भी ज़ोर-शोर से.  

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अब जब इराक भी खुद को इस जाल में नहीं फंसना नहीं देना चाहता है तो भारत को बतौर देश क्या ज़रुरत है कि उसे खुद को महान बताने की ? जब उसे कुछ लेना-देना है ही नहीं बतौर एक तथाकथित सेक्युलर देश तब फिर किस आधार पर वह इन दोनों देशों में से किसी का साथ दे ?

न ही भारत एक ईसाई राष्ट्र है न ही वह एक मुस्लिम राष्ट्र तो फिर जब भारत का इसमें कुछ भी बड़ा हित-अहित नहीं है तो उसे अमेरिका-ईरान लड़ाई पर तटस्थ रहते हुए दोनों देशों को उनकी मंशाओं के तहत तथास्तु कह देना चाहिए. भारत का कुछ भी करना ही सबसे बढ़िया कूटनीतिक चाल होगी पूरी दुनिया के राजीनतिक पटल पर.

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