कांग्रेस को सावरकर से केवल नफरत है
राहुल गाँधी
जो कि खुद को भी पप्पू के नाम से स्वीकार एवं आत्मसात कर चुके है, अब उनके और उनकी प्राइवेट पार्टी लिमिटेड कांग्रेस के लिए देश के रत्न वीर दामोदर सावरकर के प्रति नफरत एवं घृणा का भाव इतना अधिक हो चुका है जिसकी कोई सीमा नहीं गई है.
उसके प्रमुख संगठन सेवक दल को कोई घास तक नहीं डालता था पर बीते कुछ दिनों से मानों वह गूगल पर कांग्रेस से पहले ट्रेंड कर रहा है.अपनी एक पुस्तक में उसने नीचता और पाप की नई सीमा को लांघते हुए उनके और गाँधी की उचित हत्या करने वाले महान देशभक्त नाथूराम गोडसे के साथ वीर सावरकर के अंतरंग सम्बन्ध होने की कोरी बकवास गढ़ डाली है और इन नीचों की हिमाकत तो देखिये कि अपनी बात को न्याययोचित बता रहे है मानों इन्होने टाइम मशीन बनाई हो और उस समय दोनों के बीच के सम्बन्ध को परखा हो !
अरे कोंग्रेसियों ! कुछ तो शर्म कर लो कि सब कुछ घोल के पी गए हो. लगता है कि राहुल गाँधी ने सेवा दल को सुपारी दे डाली है देश के महापुरषों की बेज़्ज़ती करने के लिए. उनको शायद अंदाजा भी नहीं होगा कि सावरकार परिवार पर क्या बीत रही होगी क्योंकि उनके पोते को इस बात से इतना गहरा आघात पहुंचा है जिसके चलते उन्हें गहरा तनाव हो गया और वह वर्तमान में अस्पताल में भर्ती हुए है.
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अब कांग्रेस को अपनी नफ़रतें इतनी ज़्यादा फैलानी है कि उसे किसी की जान की भी परवाह नहीं है. अपनी नफरत की राजनीति चमकाने के चक्कर में किसी की जान ही क्यों न चली जाए, देश की सबसे पुरानी पार्टी को इससे कोई बड़का फर्क नहीं पड़ता है.
पहले यह पार्टी परिवारवादी हुई, फिर पप्पूवादी हुई और पापी हो चली है जिससे इसका बचा-कुचा आधार भी जनता के बीच समाप्त होने के कगार पर है. हालाँकि इस पर सत्ता पक्षी भारतीय जनता पार्टी यानि भाजपा का सड़को पर न उतरना और कोई प्रेस कांफ्रेंस कर प्रतिकार न करना भी आश्चर्यजनक है क्योंकि वास्तव में सावरकर उनके धरोहर के नहीं उनके विरोधी पक्ष हिन्दू महासभा के है.
अंत में कोंग्रेसियों को चेतावनी देते हुए एक सच्चे राष्ट्रवादी भारतीय नागरिक के तौर पर याद दिलाना चाहता हूँ कि भारतीय राजनीति में सूर्य के समान चमकने वाले वीर सावरकार जी की तरफ थूकने से कांग्रेस को कोई लाभ नहीं होने वाला क्योंकि आकाश पर थूकने वालों के मुंह ही लौटकर थूक वापस आता है.