श्रीराम लागू नहीं रहे जो थे बॉलीवुड के अल्टीमेट करैक्टर एक्टर
बॉलीवुड के अल्टीमेट करैक्टर एक्टर
श्रीराम लागू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने कल रात पुणे में अंतिम सांस ली और गुरूवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 92 वर्ष की आयु तक जाते-जाते उन्होंने लम्बी बीमारी झेली जिसने उन्हें फ़िल्मी परदे तो क्या थिएटर के मंच से भी जुदा कर दिया जहाँ से उनकी असली पहचान है.
उनका 16 नवंबर 1927 को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ था. परदे पर अधिकतर मास्टर जी या फिर बाबू जी का किरदार निभाने वाले श्रीराम राम लागू बॉलीवुड के शानदार करैक्टर रोल करने वाले अभिनेता थे. उन्होंने 70, 80 और 90 के दशक में अपने शानदार अभिनय फिल्मो में अपने किरदारों की छाप छोड़ी फिर उनका रोल बड़ा रहा हो या छोटा.
थिएटर से ही शुरुआत करने वाले श्रीराम लागू बेहद अनोखे रूप में रंगमंच में तमाम नाटकों में अपने बेजोड़ एक्टिंग से दर्शको को मंत्रमुग्ध करते रहे तब भी तो लोग उन्हें "नाट्य सम्राट" तक भी कहते है. उन्होंने मराठी और हिंदी भाषाओं में करीब 100 फिल्मो में काम किया. 1978 में आई फिल्म घरौंदा के लिए सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया.
बहुत कम लोगों को शायद यह बात पता होगी कि वह पीएचडी वाले डॉक्टरेट नहीं बल्कि मेडिकल साइंस वाले डॉक्टर थे जिन्होंने अफ्रीका में बतौर चिकित्सक अपनी सेवा दी थी.
उनकी यादगार फिल्मो में खुद्दार, औरत तेरी यही कहानी, काला बाज़ार, विधाता और लावारिस जैसी फिल्में शामिल है जो किसी को भी उनकी एक्टिंग के माध्यम से जोड़ सकती है.
एक ज़िंदादिल इंसान और एक संजीदा एक्टर यही चीज़ तो श्रीराम लागू को सबसे जुड़ा करती है. आज उनके जाने के बाद सभी को उनकी याद आ रही है लेकिन दिखावटी फिल्म फ्रेटर्निटी की उन्होंने कभी परवाह नहीं करी.
वह अपनी एक्टिंग के साथ परदे पर डटे रहे, तब तक काम किया जब तक कि शरीर में जान रही काम करने लायक. उनकी पेशेवर आत्मा को नमन और उनकी हम सबकी यादों में हमेशा रहेगी.