Some Facts Which Went Missing From Jamia Protests Episode
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18-Dec-2019, Updated on 12/18/2019 1:28:20 AM

Some Facts Which Went Missing From Jamia Protests Episode

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जामिया मिलिया इस्लामिया प्रोटेस्ट : हार्ड फैक्ट्स से सामना 

इस हफ्ते की शुरुआत जामिया मिलिया इस्लमिया केंद्रीय विश्विद्यालय से हो रही जहाँ कथित लोकतान्त्रिक तरीके से किया गया दंगाई प्रोटेस्ट जो कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के खिलाफ था अब आखिरकार सवालो के घेरे में आ चुका है. आज सबको इससे जुड़े कुछ हार्ड फैक्ट्स का सामना कर ही लेना चाहिए ताकि देश के खिलाफ इस्लामवादी ताक़तों के खिलाफ एकजुट हो सके.

पहला तथ्य यह है कि जामियानगर में स्थित जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी कैंपस में स्टूडेंट्स ने दिखावे के तौर पर पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया ताकि उन पर शक न हो फिर अंदर छिपे बाहरी कट्टरपंथियों से कश्मीर की तर्ज़ पर ही पत्तरबाज़ी करवाई और पुलिस को निशाने पर लिया गया.पुलिस "बेटा-बेटा" कह कर समझाती रही फिर भी लोग समझने को तैयार नहीं हुए और कई पुलिसवालों को घायल कर दिया. 

दूसरा तथ्य यह है कि पकड़े गए उपद्रवी वास्तव में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र तो थे ही नहीं. अब उनको वहां पे कौन लाया और जामिया नगर एक मुस्लिम बाहुल्य इलाका है इसलिए वे लोग वहां पर आराम से घुस गए और हमला करने के लिए घात लगाए रहे यह समझना कोई बड़ी बात नहीं है. 

Some Facts Which Went Missing From Jamia Protests Episode

तीसरा और कड़ा तथ्य है कि दिल्ली पुलिस ने ऑन रिकॉर्ड कहा है कि उसकी तरफ से इन छात्र के वेश और नाम पर दंगा करने वालों जेहादी उप्रदवियों और पत्थरबाजों में से किसी को भी शूट ऑन साइट यानी गोलियों से छन्नी नहीं किया गया है और उसकी तरफ से एक भी गोली नहीं चलाई गई है. 

चौथा तथ्य तो आपको और भी चौंका देगा. इसमें आपको पता चल जायेगा जामिया जेहादी प्रोटेस्ट के पीछे की प्रायोजित साज़िश. इन लोगों ने हॉस्टल में खुद ही तोड़फोड़ करवाई और फिर आरोप पुलिस पर लगा दिया. 

पांचवा तथ्य यह है कि व्हाट्सएप ग्रुप्स के ज़रिये दंगे फैलाने, भड़काने और पूरे घटनाक्रम के अपडेट्स साझा करने का काम किया जा रहा था.  

सारे रिलेटेड वीडियोज़ और कंटेंट तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म और वेबसाइट्स पर मौजूद है आपको समझाने के लिए. एक मिनट के लिए लेफ्ट या राइट विंगर हुए बिना सच्चा का सामना कीजिये कि आपका देश किस खतरे से जूझ रहा है. इस्लामिक जिहाद डेमोक्रेसी के नाम पर ....यही है खतरा इसे भांप लीजिये. 

आज हम नहीं जाएगी तो यह भीड़ आपके घर में भी इस्लाम के झंडे को लेकर पहुँच जाएगी और आपने पुलिस-सरकार का साथ न दिया तो फिर इस खतरे से आपको शायद ही कोई बचा पाए. 

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