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24-Oct-2019 , Updated on 10/24/2019 1:47:28 AM
Law and Order in Uttar Pradesh
उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था
कमलेश तिवारी हत्याकांड में 3 मुख्य साजिशकर्ता गिरफ्तार हुए है। जिनका नाम फैजान, मौलाना मोहसिन शेख और रशीद पठान है।गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला ने दावा किया है कि हिरासत में लिए तीनों आरोपियों ने इस कत्ल में अपनी भागीदारी कबूल कर ली है. यूपी पुलिस और गुजरात एटीएस ने इस केस में मोहसिन शेख, फैजान और रशीद पठान नाम के शख्स को हिरासत में लिया है।
डीजीपी ने ओपी सिंह ने कहा कि कमलेश तिवारी के परिजनों द्वारा कराई गई एफआईआर में नामजद मौलाना अनवारुल हक और मुफ्ती नईम काजमी को शुक्रवार रात को ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया और इनसे पूछताछ की जा रही है. पुलिस का कहना है कि सूरत और लखनऊ/बिजनौर से मिले सुरागों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है।
फतवा जारी करने वाले मौलाना को पूछताछ के बाद छोड़े जाने की खबर झूठी है।
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में दो और लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन प्राथमिक पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया गया है. पुलिस ने कहा कि इन पर अफसरों की नजरें हैं और जरूरत पड़ने पर इनसे फिर से पूछताछ की जाएगी.
कमलेश तिवारी हत्याकांड को अंजाम देने वाले दो हत्यारों के नाम का खुलासा हो गया है. इसमें से एक शख्स का नाम फरीदुद्दीन पठान उर्फ मुईनुद्दीन शेख है. जबकि दूसरे शख्स का नाम अशफाक शेख है. हत्या के सीसीटीवी फुटेज में जो दो लोग दिख रहे हैं ये वही हैं. इन्हीं ने सूरत में मिठाई और चाकू खरीदा था और हत्या को अंजाम देने के लिए यूपी आए थे.
कमलेश तिवारी को घात लगाकर मारा गया है, हत्यारों ने पूरी तैयारी की थी। हत्यारों ने छद्म भेष धारण किया था।
छद्म हिन्दू भेष धारण करके कमलेश तिवारी को विश्वास में लिया गया।
कमलेश तिवारी ने ही सुरक्षा गार्ड से छद्म हिन्दू भेष धारी हत्यारों को कार्यालय में आ कर उनसे मिलने की अनुमति दी।
कमलेश तिवारी द्वारा नौकर को सिगरेट लाने भेजा गया।
जेहादियों ने मौका देखकर चाकू से गला रेतकर उनकी हत्या कर दी।
योगी सरकार को गाली देने, कोसने के बजाय, आप सब को योगी सरकार से राज्य में ऐसे सभी जेहादी संगठन और संगठनकर्ता को नए यूएपीए कानून के तहत बैन करने व आतंकी घोषित करने की मांग करनी चाहिए जो फतवा जारी करते है, भड़काऊ भाषण और बयान देते है।
मैंने पहले भी कहा है और अभी भी कह रहा हूं, कमलेश तिवारी की हत्या करने के लिए 51 लाख का फतवा जारी करने वाले मौलाना और उसके संगठन पर अगर उस दिन ही कार्यवाही हो गई होती जिस दिन फतवा जारी किया गया था, तो आज कमलेश तिवारी जीवित होते।
योगी सरकार होने के कारण ही 24 घंटे के भीतर ही एसआईटी गठित की गई और साजिशकर्ताओं की पहचान हुई। हत्यारे/साजिशकर्ता मुसलमान है।
इस तरह के सभी जेहादी फतवों, इसको जारी करने वाले संगठन और संगठनकर्ताओं पर तत्काल रोक लगना बहुत जरूरी है। कमलेश तिवारी को तभी सही मायने में इंसाफ मिलेगा।
अब सरकार को तय करना पड़ेगा कि इस देश में कानून व्यवस्था संवैधानिक आधार पर चलेगी या इस्लामिक फतवों के आधार पर?

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