सार्जेंट मेजर गांधी
दोस्तों आज मैं आप लोगों से एक अपठित - पाठ साझा करने चल रहा हूँ।
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धन्यवाद !!!
दोस्तों, जैसा की हम लोगों को पढ़ाया जाता रहा है की गाँधी जी अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाते हैं और वहाँ पर उनके साथ बहुत भद्दा ब्यवहार किया जाता है।
जैसे की उनको थप्पड़ मारा जाता है और उनके सामान को ट्रैन से नीचे फेंक दिया जाता है। और फिर गाँधी जी वापिस भारत आकर आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़ते हैं , इत्यादि। परन्तु सोचने वाली बात यह है की ---
काला आदमी लंदन में रहकर गोरो के साथ पढ़ सकता है, एक होस्टल के एक कमरे में रह सकता है, एक मेस में खा सकता है, फिर ट्रेन में एक साथ सफर करने में फेंक दिया जाता है।
बात हजम नही होती...........!!!!!
यही आदमी बाद में उन्हीं गोरों की सेना में सार्जेंट मेजर बनता है। दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश बोर वार में उसकी तैनाती एम्बुलेंस यूनिट में होती है। मिलिट्री यूनिफॉर्म में उन करमचंद जी की फोटो पूरे इंटरनेट पर उपलब्ध है ।
उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी अश्वेतों पर ब्रिटिश युद्ध का समर्थन किया, ब्रिटिश सैनिकों के लिए आराम और सहायता की मांग की, और सशस्त्र सेवाओं में भर्ती का अनुमोदन किया। आखिरकार, उन्हें एक सार्जेंट नियुक्त किया गया। ब्रिटिश सेना में प्रमुख।
सार्जेंट मेजर गांधी लिखकर सर्च कर लीजिए।

अचानक वे मिलिट्री यूनिफार्म उतार देते हैं और बैरिस्टर घोषित हो जाते हैं। फिर उनको महात्मा बुद्ध की तरह शांति अहिंसा का दूत बनाकर दक्षिण अफ्रीका से सीधे चंपारण भेज दिया जाता है, जहाँ नील उगाने वाले किसानों के आंदोलन को वे हैक कर लेते हैं।
हिंसक आंदोलन को अहिंसा शांति के फुस्स आंदोलन में बदल देते हैं।
महात्मा बुद्ध की तरह दिन में एक धोती लपेट कर शांति अहिंसा के नाम पर भारतीयों के हर उग्र आंदोलन की हवा निकाल कर उसे बिना किसी परिणाम के अचानक समाप्त कर देते हैं। अंग्रेज चैन की सांस लेते रहते हैं।
अहिंसा_के_पुजारी...
प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का खुला साथ देता है। भारतीयों को कहता है, "सेना में भर्ती हो जाओ और युद्ध करो" ताकि ब्रिटिश राज बचा रहे !!!
देश को बांट देने वाला राष्ट्रपिता बन जाता है, लाखों को मरवा देने वाला अहिंसा का पुजारी और महात्मा बन जाता है।
पर गांधी शब्द एक ब्रांड है।

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