The Bogibeel Bridge in India
rail road bridge

15-Jun-2019, Updated on 6/20/2019 5:04:30 AM

The Bogibeel Bridge in India

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बोगीबील पुल राष्ट्र के नाम बढ़ी चीन की चिंता

(The Bogibeel Bridge is India's rail-cum-road bridge at 4.94 km.)

The Bogibeel Bridge in India

चीन के 11 पुल के बराबर भारत का यह एक पुल है सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, देश के हर कोने से होगा संपर्क और पांच सौ किलोमीटर दूरी घटेगी !!

एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड सह रेल बोगीबील पुल उत्तरी असम के डिब्रूगढ़ और धेमाजी के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर बन कर तैयार हो गया है। अब चीन से मिलने वाली चुनौतियों का मुकाबला भारत मजबूती से कर सकेगा।

इस पुल के लिए 1996 में ही मंजूरी मिल गई थी, कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने 2007 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया था। असम के डिब्रूगढ़ को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे इस सड़क और रेल पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर है।

इस पुल का निर्माण 2002 से हो रहा है, और 2009 में ही इसका उद्घाटन होना था, लेकिन बार बार मिल रही चीन की धमकियों और दूसरे कारणों से इसका निर्माण रुक रुक कर होता रहा, लेकिन फिर भी 2014 तक केवल 30% निर्माण ही पूरा हो पाया था इस पुल के निर्माण में विशेष गति आई 2014 के बाद, जब केंद्र सरकार ने इस पुल के युद्ध स्तर पर निर्माण को शुरू किया !!

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के अवसर पर ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस पुल का उद्घाटन करेंगे।

यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर तथा दक्षिणी तटों को जोड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी पर एक छोर से दूसरे छोर तक ब्रिज से पहुंचने में केवल पांच मिनट का समय लगेगा। लेकिन इससे पांच सौ किलोमीटर दूरी तय करने की जरूरत नहीं होगी।

इतना नहीं, सेना और स्थानीय लोगों को नदी पार करने के लिए फेरी (नौका) का सहारा नहीं लेगा होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक पुल चीन के 11 पुल के बराबर है।

इस पुल की आधारशिला 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने रखी थीं, लेकिन इसका निर्माण कार्य अप्रैल 2002 में ही शुरू हो पाया, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रेल मंत्री नीतीश कुमार के साथ इसका शिलान्यास किया था।

इस पुल के शुरू होने से ये होंगे फायदे:

The Bogibeel Bridge in India

1. सेना और स्थानीय लोगों की मुश्किलें समाप्त होगी

सेना और स्थानीय लोगों की मुश्किलें समाप्त हो जाएंगी और उनका आवागम आसान हो जाएगा। अभी लोगों को असम से अरुणाचल जाने के लिए तेजपुर रोड से जाना पड़ता है। इसमें बहुत समय लगता था। बोगीबील ब्रिज से यह 500 किलोमीटर की दूरी कम होगी। स्वीडन और डेनमार्क के बीच बने होरिशवा ब्रिज टनल की तर्ज पर बोगीबील ब्रिज को बनाया गया है।

2. दिल्ली की कम होगी दूरी, बढ़ेगी रेल कनेक्टिविटी

इस पुल के बनने से दिल्ली से डिब्रूगढ़ की रेल से दूरी 3 घंटे कम हो जाएगी। अब ट्रैन डिब्रूगढ़ से गुवाहाटी होते हुए नाहरलगुन (अरुणाचल) पहुँचाएगी। ज्यादा ट्रेने चल पाएंगी। अभी दिल्ली से नाहरलगुन वीकली ट्रैन चलती है।

25 को प्रधानमंत्री तिनसुकिया-नाहरलगुन (15907-15908 ) इंटरसिटी ट्रेन का भी उद्घाटन करेंगे । ये 14 कोच की ट्रेन साढ़े पांच घन्टे लेगी। इससे असम के धीमाजी, लखीमपुर के अलावा अरुणाचल के लोगों को भी फायदा होगा। आगे एक राजधानी बोगीबील से धीमाजी होते हुए दिल्ली के लिए चलाई जा सकती है।

3. पंजाब, हरयाणा से बढ़ेगी अनाज की ढुलाई

अभी असम से कोयला, उर्वरक और स्टोन चिप्स की रेल से सप्लाई उत्तर व शेष भारत को होती है। जबकि पंजाब, हरयाणा से अनाज यहाँ आता है। इस पुल के बनने से इनमें बढ़ोतरी के साथ रेलवे की आमदनी बढ़ने की संभावना है।

विशिष्ट उत्साह और तीव्र गति से इस पुल का निर्माण संपन्न करवाने के लिए केंद्र सरकार का हार्दिक आभार !!

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