Dr A.P.J Abdul Kalam : An Idealistic Muslim Patriot
famous personalities

31-Dec-2019, Updated on 12/31/2019 12:15:38 AM

Dr A.P.J Abdul Kalam : An Idealistic Muslim Patriot

Playing text to speech

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम : एक आदर्श राष्ट्रवादी मुस्लिम

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आज भी करोड़ो भारतीयों के लिए वह प्रेरणा स्त्रोत है. आज जो इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन की अहम और शक्तिशाली प्रयोगशाला है वह डॉ कलाम के प्रयासों का ही परिणाम है.

उन्हें देश का मिसाइल मैन ऐसे ही नहीं कहा जाता है. आज जो अगनी और पृथ्वी मिसाइलें देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी मारक क्षमता के लिए जानी जाती है वह उन्हीं की तीव्र एवं विकासशील बुद्धि की उपज थी. उन्होंने देश के लिए जितना बतौर राष्ट्रपति किया उतना ही एक वैज्ञानिक के रूप में भी किया.  

उन्होंने भारत को एक संपन्न परमाणु शक्ति बनाने का बीड़ा उ ाया और उसे पूरी तरह से साकार किया. उन्हें एयरोस्पेस विज्ञान में अमूल्य योगदान के लिए साल 1997 में भारत रत्न भी मिला था. फिर उन्होंने वैज्ञानिक की भूमिका से ऊपर उ ते हुए उन्होंने राजनीती में प्रवेश करते हुए देश के सर्वाच्च नागरिक यानी राष्ट्रपति पद की ज़िम्मेदारी भी निभाई.  

उन्हें जनता का राष्ट्रपति भी कहा जाता था क्योंकि एक सामान्य भारतीय नागरिक फरियादी की फ़रियाद अनसुना न करते हुए उसपर स्वतः ही संज्ञान लेते थे. उसके बाद तो उन्होंने अपने ही काम से पूरी तरह से संतुष्टि न पाते हुए दोबारा राष्ट्रपति बनने की चाह राखी लेकिन एक युक्ति के चलते अपना नाम ही रद्द करवा दिया. 

अब वह अपनी दुनिया में बतौर वैज्ञानिक लौटना चाहते थे. उन्होंने भविष्य के वैज्ञानिको को पढ़ाने और प्रशिक्षित करने के अपने पुराने जूनून को फिर से जीना शुरू कर दिया. अब वह वह जगह-जगह जाकर ज्ञानवर्धक लेक्टर्स की श्रृंखला दे रहे थे फिर भी देश से जुड़े मुद्दे उन्हें अंदर तक छू जाते थे जिन पर चिंतन और मंथन दोनों किया करते. 

 READ MORE HERE : अटल बिहारी वाजपेयी - एक राइट विंग गांधीवादी

देश को कैसे अगले दशक का अग्रणी देश बनना होगा इसके लिए उन्होंने इंडिया एक्शन 2020 नामक पुस्तक भी लिखी जो देश के विकास पथ की पुस्तक कही जा सकती है. 27 जुलाई 2015 को शिल्लोंग में लेक्चर देते हुए उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 

एक सच्चे राष्ट्रवादी मुस्लिम के तौर पर उन्होंने संवाद, सम्मान और समर्पण का कर्मभाव ज़िन्दगी भर रखा. वह अपनी हिन्दू संस्कृति से भी परिचित और उसे अपना मानते थे. सुपुर्द-ए-ख़ाक किये जाने के बाद उन्होंने एक तरफ गीता और दूसरी तरफ क़ुरआन को अपनी समाधी स्थल पर लगवाया. देश के हर मुस्लिम को उनसे प्रेरणा एवं सीख लेनी चाहिए जो आज कट्टरता के नाम पर देश से ही गद्दारी करने से भी नहीं चूक रहे हैं. 

User
Written By
I am a content writter !

Comments

Solutions