Atal Bihari Vajpayee : The Sole Right Wing Gandhian
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30-Dec-2019, Updated on 12/30/2019 12:33:42 AM

Atal Bihari Vajpayee : The Sole Right Wing Gandhian

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अटल बिहारी वाजपेयी - एक राइट विंग गांधीवादी

इस बार भारत रत्न स्वर्गीय अटल जी की जयंती पर हम लोगों को नई चीज़ देखने को मिली. वह अपने वैचारिक पुरोधा महात्मा गाँधी उर्फ़ बापू की समाधि के समीप आ गए. देश की राजधानी दिल्ली में स्थित राजघाट में अटल बिहारी वाजपेयी की भी समाधि स्थल बन गई है. आप सोचेंगे कि इसमें रोचक क्या है ? खैर आज राजनीति में विचारधारा नाम की चीज़ मिथ्या हो चली है. जिनको नहीं पता कि यह बात उनके ऊपर अफ़सोस ही किया जा सकता है कि इन दोनों राष्ट्रीय नेताओं का जीवन ही विचारधारा आधारित था.

महात्मा गाँधी बेशक मध्यमार्गी यानी सेंट्रिस्ट थे लेकिन अटल बिहारी वाजयेपी एक मात्र ऐसे राष्ट्र स्वयंसेवक संघ से दीक्षा-शिक्षा ग्रहण करने वाले राजनेता होंगे जिन्होंने गांधीवादी विचारधारा को विशुद्ध रूप से अपनाया. वह तन-मन से हिन्दू ह्रदय सम्राट थे किन्तु गांधी के हिन्दुवाद से प्रभावित हो वशीभूत होकर ही उन्होंने अपना राजनितिक जीवन जिया. 

इसका स्वर्णिम उदाहरण हमें 1999 में कारगिल युद्ध से पहले और साल 2002 में देखने को मिलता है जब एक साल पहले यानी साल 2001 में देश की ही संसद पर हमला हुआ था. अटल जी ने युद्ध को टालने की कोशिश करी किन्तु फरवरी में उन्होंने बस सेवा पेश कर दिल्ली-लाहौर के शहरों के माध्यम से हिंदुस्तान-पाकिस्तान को एक करने की नेक पहल की लेकिन नापाक पाकिस्तान जून में ही कारगिल पर चढ़ाई कर बै ा, उन्होंने फिर भी शांति की स्थापना करते हुए कारगिल की फतह के बाद भी पीओके पर चढ़ाई नहीं करी. 

आखिर यही तो अटल जी की विशेषता थी कि वह शान्ति को अंतिम रूप में तवज्जो देते थे. हालाँकि वह इस बात को भी नकार जाते थे कि शांति ही हमेशा सर्वोतम अवस्था नहीं होती है. 2001 में भारत देश की संसद पर हमले हुए जिसके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ था फिर भी वह अगले साल 2002 तब के तानाशाह राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ से शांति वार्ता करने जा पहुँचे जबकि उन्हें चलने में क नाई होने लगी थी.  

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यह अटल जी ही थे जिन्होंने दक्षिणपंथ के राजनितिक परिदृश्य में भी गाँधीवाद की छाप छोड़ी. आज भले ही अटल विहारी वाजयेपी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी सोच, समर्पण, संकल्पता और समर्थता हम सबको युद्ध के ढेर पर रखे हुए इस देश में शांति की अलख जलाये रखने की प्रेरणा देता है.

जैसा कि पितामह भीष्म ने भी कहा था शांति जिन दाम मिले वह सस्ती ही होती है उसी तरह अटल जी भी दुनिया को बचाने के लिए गाँधी के शांति मार्ग का अनुसरण करने की पहल करते थे.अटल बिहारी वाजपेयी एक राइट विंग गांधीवादी दो विपरीत विचारधाराओं में समावेश के एकलौते उदाहरण थे. 

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