Diya Mirza Ka Drama

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दिया मिर्ज़ा का ड्रामा

मौका था जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का और मोहतरमा थी फ्लॉप बॉलीवुड एक्ट्रेस दिया मिर्ज़ा जो पता नहीं साहित्य के मंच पर पर्यावरण की बात क्यों करने लगी. क्या उनके लिए कोई अन्य मुद्दा था ही नहीं ? अब उन्होंने ऐसा कुछ कह दिया है जिसके चलते ट्विटर पर उनकी ट्रोलिंग हो रही है. #diamirza ट्रेंडिंग है. रोते हुए उन्होंने ज़िन्दगी में कभी भी पेपर यूज़ करने की बात कह डाली जिससे कि उनकी तुलना ग्रेटा थनबर्ग से की जाने की लगी. नौटंकी का ऑस्कर तो दिया मिर्ज़ा को दिया जाना चाहिए. एक पल के लिए लगा कि सच में कोई फिल्म स्टार पर्यावरण के लिए इतना सेंसिटिव है. खैर दिखावे के लिए ही सही लेकिन उसमें भी दिया मिर्ज़ा विफल साबित हुई है.

दिया मिर्ज़ा को पर्यावरण की याद पहले क्यों नहीं आई ? आखिर उनके लिए फेम पाने का सस्ता तरीका अब यही रह गया है ? मिस इंडिया बनते वक़्त भी इतनी नौटंकी नहीं की होगी जितना यहाँ देखने को मिली है. अगर कुछ मासूम लोगों को अभी भी लगता है कि वाकई में दिया मिर्ज़ा जैसे लोग पर्यावरण को लेकर चिंतित है तो वह जान लें ऐसा कुछ भी नहीं है.

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वह खुद डीजल से चलने वाली स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल से चलती है. वह खुद लैदर जैकट पहनकर शॉपिंग करने से लेकर पब्लिक इवेंट्स पर दिख रही है. आप तो पानी के बिल्स तक नहीं भर्ती है. ऊपर से आपके पास बुक्स का कलेक्शन है जो खुद पेपर से बनते हैं और हाँ आपके अपार्टमेंट की वूडन फ्लोरिंग की बात तो रह ही गई! 

सालुमारदा तिमक्का नामक असली पर्यावरण रक्षक भी जो कैमरे के लिए नहीं रोती है, लोग उन्हें न जाने फिर भी वह अपना काम कर जाती है. उन्होंने नौटंकी करने के बजाय कड़ी मेहनत की और पेड़ लगाए है. वह हर दिन एक माँ की तरह 385 बरगद के पेड़ का पालन पोषण करती है. दिया मिर्ज़ा ! आपने तो घास भी न उगाई हो कभी. 

दिया तो जलवायु आपातकाल बोलते समय वह टूट जाती है. असली कामकाजी लोग और झू ी बॉलीवुड अभिनेत्रियों के बीच अंतर को अब अच्छे ही समझ ही चुके होंगे. दिया मिर्ज़ा जी अगली बार नौटंकी करने से पहले दस बार सोच लीजियेगा क्योंकि आपने बिना सोचे समझे कुछ कहा नहीं और आपकी बेइज़्ज़ती होना शुरू हो जाती है. 

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