नसीरुद्दीन शाह बनाम अनुपम खेर : अब दोस्त-दोस्त न रहा
नसीरुद्दीन शाह और अनुपम खेर बॉलीवुड के दो सबसे उम्दा एक्टर्स में से एक है जिन्हें कोई इंट्रोडक्शन की ज़रुरत नहीं है. यह दोनों दोस्त हुआ करते थे और वास्तव में इन दोनों के बीच ही आपसी समझ वाला गहरा रिश्ता हुआ करता तब तक ही जब तक कि मौजूदा मोदी भाजपा सरकार के दौर में लेफ्ट वर्सेस राइट विंग की लड़ाई में आपको विचारधारा के आधार लोग अलग होते हुए दिख जायेंगे.
ऐसा ही कुछ हुआ है इन दोनों एक्टर्स के साथ भी. अक्सर विवादों से यारियां निभाने वाले नसीरुद्दीन शाह ने कह डाला कि अनुपम खेर को वह क्लाउन यानी हँसोड़ा और चापलूस (साइकोफैंट) तक करार दे दिया जिसके चलते इन दोनों के बीच रार शुरू हो गई. अनुपम खेर ने भी इसका जवाब देते हुए नसीरुद्दीन के नशीले पदार्थ के सेवन को जगजाहिर कर दिया और उनको अप्रत्यक्ष तौर पर नशेड़ी करार दे दिया और उन्हें विनम्र व्यंगनात्मक शैली में धन्यवाद देते हुए चार दिन की चांदनी वाली सुर्ख़ियों वाली शोहरत भेंट कर दी.
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इस रार मामले में वजह थी विवादित कम प्रायोजित सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल जिसके तहत मुस्लिमों को देश से निकाले जाने की बात सामने आ रही और बॉलीवुड भी इससे अछूता नहीं रह पाया. लेफ्ट-लिबरल तबगे के लोगों को अब डर सताने लगा है और वह मुस्लिम समाज के लोगों के बीच जाकर ऐसे-वैसे बयान दे रहे जिससे इस पर भ्रम वाला सरकार विरोधी प्रोपगैंडा चलाया जा सके.
अब तो यह बात मामले के सारांश की हो गई किन्तु एक मिनट मानवीय दृष्टिकोण से समझिये और लेफ्ट बनाम राइट का दैनिक द्वन्द भूल जाइये. या तो यह दोनों अभिनेता दोस्त एक दूसरे के सामने खुद के विचारात्मक जज़्बात नहीं रख पाए और आगे भी न रख पाते या फिर यह दोनों ऐसे ही मुद्दे पर आमने-सामने होने का इंतज़ार कर रहे थे.
दोनों ने ही अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज किया है और अपनी सैदेव न मिटने वाली छाप छोड़ी है. ''अ वेडनेसडे" मूवी आज भी देखी जाती है जहाँ इन दोनों को टक्कर वाले रोल्स में देखा गया. अब दोनों की दोस्ती रहेगी या नहीं रहेगी लेकिन बतौर उनका प्रशंसक मैं यही कहना चाहता कि मैं आप दोनों का सम्मान करता हूँ और आप दोनों से ही प्यार करता हूँ इसलिए अपने विचार अलग रख पैच-अप कर लीजिये आखिर उम्र के आखिरी दौर में आपसी तकरार किस काम की ?